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What is Encoding in computing in Hindi

एन्कोडिंग क्या है 


एन्कोडिंग एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमे किसी भी डाटा को किसी विशेष फॉर्मेट में बदल दिया जाता है| उदाहरण के लिए यदि हमारे पास कुछ डाटा है और हमें इस डाटा को किसी दूसरे सिस्टम को प्रोसेस करने के लिए देना है तो हमें अपने डाटा को उस फॉर्मेट में बदलना होगा जिसे कि यह दूसरा प्रोसेस व कंप्यूटर समझता है, अन्यथा यह सिस्टम हमारे डाटा को प्रोसेस ही नहीं कर पायेगा क्योंकि यह दूसरा सिस्टम एक विशेष फॉर्मेट के डाटा को ही समझता है| इसलिए इस दूसरे सिस्टम को इसी के फॉर्मेट में डाटा चाहिए होगा|  एन्कोडिंग को कंप्यूटर, नेटवर्किंग, इलेक्ट्रॉनिक्स आदि क्षेत्रों में उपयोग किया जाता है|  



मूल रूप से डाटा बाइनरी फॉर्मेट में ही होता है| बाइनरी फॉर्मेट में केवल दो चिन्ह 0 और 1 का उपयोग किया  जाता है| सरल भाषा में कहें तो कंप्यूटर सिस्टम व इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम में सूचना केवल 0 और 1 की लम्बी कतार के रूप में होती है जैसे :-

 010101010010100111111111101001010000000101000000111111100010101010101001010011111111110100101000000010100000011111110001010101010100101001111111111010010100000001010000001111111000101010101010010100111111111101001010000000101000000111111100010101010101001010011111111110100101000000010100000011111110001010101010100101001111111111010010100000001010000001111111000101010101010010100111111111101001010000000101000000111111100010101010101001010011111111110100101000000010100000011111110001010101010100101001111111111010010100000001010000001111111000101.     

अब यह सिस्टम्स पर निर्भर करता है कि वह इस बाइनरी सुचना की व्याख्या किस तरह करना चाहता है| इसे हम सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाली  ASCII एन्कोडिंग स्कीम से समझते हैं| ASCII एन्कोडिंग ऐसी एन्कोडिंग स्कीम है जिसके द्वारा बाइनरी डाटा को अंग्रेजी भाषा में इस्तेमाल होने वाले करैक्टरस व सिम्बल्स में परिवर्तित किया जाता है| ASCII एन्कोडिंग में बाइनरी डाटा की सात बिट्स के समूह के लिए अंग्रेजी अल्फाबेट और कुछ गणितीय सिम्बल्स होते हैं| इस तरह सात बिट्स के समूह के लिए कुल 128 अंग्रेजी अल्फाबेट और अन्य दूसरे गणितीय सिम्बल्स होते हैं| यहां आस्की एन्कोडिंग का टेबल दिखाया गया है| 


जैसा की ऊपर टेबल में देखा जा सकता है हर सात बिट्स के लिए कुछ अंग्रेजी के सिम्बल्स डिफाइन किये गए हैं| 

अब आइये समझते हैं कि कोई भी कंप्यूटर सिस्टम व सॉफ्टवेयर सिस्टम बाइनरी इनफार्मेशन की ASCII एन्कोडिंग के द्वारा कैसे व्याख्या करता है| मान लेते हैं सिस्टम के पास इस तरह की बाइनरी इनफार्मेशन आती है :- 

0110100001100101011011000110110001101111001000000111011101101111011100100110110001100100. 

सबसे पहले सिस्टम इस बाइनरी इनफार्मेशन को आठ आठ के हिस्सों में तोड़ेगा| 8 के समूह को बाइट कहा जाता है और प्रत्येक एक सिंबल को बिट कहा जाता है| इस तरह 8 बिटों के समूह को बाइट कहा जाता है| बाइनरी सूचना को आठ बिटों के समूह में इसलिए तोड़ा जाता है क्योंकि जितने भी कंप्यूटर सिस्टम व इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम होते हैं उनकी आंतरिक इलेक्ट्रिकल सरंचना इस तरह की होती है कि वे एक समय में केवल आठ बिटों के समूह को हो प्रोसेस करते हैं| ऊपर दी गयी बाइनरी सूचना को 8 के हिस्सों में तोड़ने के बाद यह कुछ इस तरह की दिखाई देगी 

01101000 01100101 01101100 01101100 01101111 00100000 01110111 01101111 01110010 01101100 01100100

अब सिस्टम इन हर एक बाइट को ascii कोड में देखेगा कि कौन से बाइट किस करैक्टर व सिंबल को प्रदर्शित करती है ऊपर ascii टेबल में यदि इन बाइटों को देखा जाए तो यह बाइनरी सूचना इस अंग्रेजी सूचना में परिवर्तित हो जायेगी :-

hello world. 

इस उदाहरण से आप समझ गए होंगे कि कैसे कोई भी सिस्टम किसी विशेष प्रकार की एन्कोडिंग का उपयोग करके बाइनरी सूचना को किसी विशेष फॉर्मेट में बदल सकता है इस उदाहरण में हमने ASCII एन्कोडिंग का उपयोग करके बाइनरी सूचना को अंग्रेजी भाषा की सूचना में परिवर्तित किया| इसी तरह यदि कोई सिस्टम अंग्रेजी भाषा के अलावा किसी दूसरी भाषा को उपयोग में लाना चाहता है तो वह यूनिकोड एन्कोडिंग को उपयोग में ला सकता है|  

ASCII और यूनिकोड जैसी एन्कोडिंग स्कीम मुख्यतः टेक्स्ट फाइलों को हैंडल करने वाले सिस्टम्स द्वारा उपयोग में लायी जाती है| ASCII और यूनिकोड एन्कोडिंग को टेक्स्ट एन्कोडिंग कहा जाता है| इस तरह की एन्कोडिंग स्कीम के अलावा दूसरी तरह की एन्कोडिंग स्कीम भी होती है जो कि बाइनरी सूचना को अन्य दूसरे तरह की सूचना जैसे ऑडियो, वीडियो, फोटो आदि में  परिवर्तित करने के लिए उपयोग में लायी जाती है| 

  

एन्कोडिंग का न केवल डाटा को किसी विशेष फॉर्मेट में बदलने के लिए उपयोग किया जाता है बल्कि इसका उपयोग डाटा के साइज को छोटा करने के लिए भी किया जाता है| इस तरह की एन्कोडिंग वीडियो और ऑडियो इत्यादि फाइलों में इस्तेमाल की जाती है| हर एक ऑडियो और वीडियो फ़ाइल फॉर्मेट के लिए कोडर-डिकोडर (कोडेक) प्रोग्राम होता है जिसका उपयोग करके इन फाइलों को एनकोड कर साइज कम किया जा सकता है|

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