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Difference Between Compiled and interpreted language in Hindi

कम्पाइलड लैंग्वेज और इंटरप्रेटेड लैंग्वेज में अंतर


दोनों प्रोग्रामिंग लैंग्वेज में मुख्य अंतर यह है कि कम्पाइलड लैंग्वेज में सारा सोर्स कोड एक ही बार कम्पाइल करके मशीन कोड में परिवर्तित कर दिया जाता है इसके विपरीत इंटरप्रेटेड लैंग्वेज में सोर्स कोड की एक बार में केवल एक ही इंस्ट्रक्शन को मशीन कोड में परिवर्तित कर रन किया जाता है| 
 

कम्पाइलड प्रोग्राम इंटरप्रेटेड प्रोग्राम की तुलना में अधिक गति से रन होते हैं क्योंकि कम्पाइलड प्रोग्राम का सारा सोर्स कोड एक ही बार में मशीन कोड में परिवर्तित हो जाता है जबकि इंटरप्रेटेड लैंग्वेज में सोर्स कोड की एक एक इंस्ट्रक्शन बारी बारी कम्पाइल और रन होती है|

कम्पाइलड लैंग्वेज को रन करने के लिए कम्पाइलर प्रोग्राम की जरूरत पढ़ती है जबकि इंटरप्रेटड लैंग्वेज को इंटरप्रेटर प्रोग्राम रन करता है|

कंपाइलर् केवल एक बार ही कोड को पढता और विश्लेषण करता है और यदि पूरे कोड में कहीं भी कोई एरर होती है एरर की सुचना देता है और प्रोग्राम को मशीन कोड में नहीं बदलता जबकि इंटरप्रेटर बार बार सोर्स कोड की हर एक इंस्ट्रक्शन के लिए इंस्ट्रक्शन को पढ़ता और विश्लेषण करता है फिर रन करता है और यदि किसी इंस्ट्रक्शन पर कोई एरर होती है तो प्रोग्राम को वहीँ रोक देता है|

इंटरप्रेटेड लैंग्वेज में लिखा प्रोग्राम रन होने के साथ साथ ही कम्पाइल होता है व उसका विशेषण होता है इसके विपरीत कम्पाइलड प्रोग्राम को पहले पूरा कम्पाइल करके मशीन कोड में बदल दिया जाता है अब यही मशीन कोड डायरेक्ट रन होता है| 

इंटरप्रेटेड प्रोग्राम के रन होने के लिए केवल सोर्स कोड ही चाहिए होता है जबकि कम्पाइलड प्रोग्राम के रन होने के लिए कम्पाइलड कोड व एक्सेक्यूटबल कोड चाहिए होता है|

कम्पाइलड लैंग्वेज के उदाहरण हैं :- C, C++, जावा आदि| इंटरप्रेटेड लैंग्वेज के उदाहरण हैं PHP, Javascript, Perlआदि|    

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