What is Internet Browser software and its work understand in Hindi
Internet Browser kya hota he | kese kam karta he internet browserइंटरनेट ब्राउज़र एक ऐसा सॉफ्टवेयर प्रोग्राम होता है जो की सर्वर मशीन या सर्वर कंप्यूटर से सम्पर्क स्थापित कर डाटा को भेजता वा लेता (Send and Recieve Data) है| इंटरनेट ब्राउज़र का मुख्य कार्य वेब सर्वर से सम्पर्क स्थापित कर वेब पेजों वा वेबसाइट फाइलों को रिसीव करना है और इन्हे प्रोसेस करके कंप्यूटर स्क्रीन पर यूजर को दिखाना है| वेब सर्वर कंप्यूटर अपने स्टोरेज मेमोरी में वेब व वेबसाइट फाइलों को सेव रखते हैं, ब्राउज़र सॉफ्टवेयर सर्वर कंप्यूटर को वेब फाइल के लिए रिक्वेस्ट भेजता है, सर्वर कंप्यूटर अपनी स्टोरेज मेमोरी में ब्राउज़र द्वारा मांगी गयी वेब फाइल को ढूंढता है, अगर वेब फाइल मिल जाती है तो सर्वर ब्राउज़र कंप्यूटर को फाइल भेज देता है, अगर नहीं मिलती तो एरर मैसेज भेज देता है| जब ब्राउज़र को फाइल रिसीव हो जाती है तब ब्राउज़र फाइल को प्रोसेस करता है और कंप्यूटर स्क्रीन पर वेब पेज की इनफार्मेशन यूजर को दिखा देता है|
वेबसाइट वा वेब फाइलों को एक विशेष फॉर्मेट में लिखा जाता है जिसे मार्क अप लैंग्वेज कहते है| जिस मार्क अप लैंग्वेज को ब्राउज़र समझता है उसे HTML मार्क अप लैंग्वेज कहते हैं| ब्राउज़र HTML फॉर्मेट में लिखी हुई वेब फाइलों को प्रोसेस करके वेब फाइलों में मौजूद इनफार्मेशन को कंप्यूटर स्क्रीन में दिखा देता है| HTML फाइल में टेक्स्ट, ऑडियो, वीडियो, फोटो आदि भी डाले जा सकते हैं|
ब्राउज़र वेब फाइल के लिए जब भी सर्वर को रिक्वेस्ट भेजता है तो एचटीटीपी प्रोटोकॉल (HTTP Protocol) का उपयोग करता है इसी तरह जब सर्वर ब्राउज़र को वेब फाइल भेजता है तो वह भी एचटीटीपी प्रोटोकॉल का उपयोग करता है| एचटीटीपी प्रोटोकॉल के जरिये ही इंटरनेट में ब्राउज़र और वेब सर्वर एक दूसरे को वेब फाइल भेजते व रिसीव करते हैं| एचटीटीपी प्रोटोकॉल में यह परिभाषित (Define) है कि ब्राउज़र और वेब सर्वर कैसे सम्पर्क करेंगे, क्या क्या इनफार्मेशन व डाटा एक दूसरे को भेजेंगे आदि|
इंटरनेट में जितनी भी मशीने व कम्प्यूटर्स, राऊटर आदि होते हैं सभी का एक विशिष्ट व यूनिक (Unique) एड्रेस होता है| यह एड्रेस एक विशेष फॉर्मेट में होता है जिसे आईपी एड्रेस कहते हैं| आईपी एड्रेस का फॉर्मेट इस तरह का होता है:- 102.123.201.127, 203.201.180.190
चूँकि वेब सर्वर भी इंटरनेट में मौजूद होते हैं इसलिए इनका भी एक आईपी एड्रेस होता है| यूजर जिस वेब पेज को देखना चाहता है उसे उस वेब सर्वर मशीन जिस पर वह वेब पेज सेव है का एड्रेस ब्राउज़र में लिखना होता है| चूँकि आईपी एड्रेस में नंबर्स होते हैं इसलिए इन्हे याद रखना मुश्किल होता है इसलिए एक सर्विस जिसे DNS कहते है का इस्तेमाल करके इन आईपी एड्रेस को डोमेन नाम (Domain Name) में बदल दिया जाता है| डोमैन नाम में इंग्लिश का कोई भी शब्द इस्तेमाल कर सकते हैं| अब यूजर को केवल वेब सर्वर का डोमेन नाम (Domain Name) ब्राउज़र में लिखना होगा इसके बाद ब्राउज़र DNS सर्विस का इस्तेमाल करके डोमेन नाम को आईपी एड्रेस में बदल कर इस आईपी एड्रेस पर वेब पेज की रिक्वेस्ट भेज देगा, वेब सर्वर ब्राउज़र की रिक्वेस्ट रिसीव करेगा, प्रोसेस करेगा और ब्राउज़र द्वारा मांगी गयी वेब फाइल ब्राउज़र को भेज देगा|
बहुत से ब्राउज़र एचटीटीपी प्रोटोकॉल के अलावा दूसरे प्रोटोकॉल भी सपोर्ट करते हैं जैसे FTP, Gopher, WAIS आदि| इसका मतलब है कि जो सर्वर FTP, Gopher या WAIS जैसी सर्विस उपलब्ध कराते हैं उनसे भी ब्राउज़र सम्पर्क स्थापित कर सकता है व डाटा को ले व भेज सकता है|
Browser ki karye parnali
0 Reviews:
Post a Comment
यह पोस्ट आपको किसी लगी इसके बारे में लिखें