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DNS डोमेन नेम सिस्टम क्या होता है

What is DNS Domain Name System in Hindi


DNS डोमेन नेम सिस्टम एक ऐसा सिस्टम है जो कि वेबसाइटों के नामों या डोमेन नाम को आईपी एड्रेस में अनुवाद करता है। वेबसाइट व वेब पेज सर्वर कंप्यूटर में सेव रहते हैं| यदि हमें वेबसाइट को ब्राउज़र में देखना है तो ब्राउज़र को सर्वर कंप्यूटर का आईपी एड्रेस पता होना चाहिए जिसमे वेबसाइट सेव है|
 
जिस सर्वर कंप्यूटर में वेब पेज सेव रहते हैं उन्हें होस्ट मशीन या होस्ट कंप्यूटर कहा जाता है| ब्राउज़र  केवल होस्ट मशीन के आईपी एड्रेस का उपयोग करके ही वेबसाइट व वेब पेज को कंप्यूटर स्क्रीन में दिखा सकता है| लेकिन हम जब भी ब्राउज़र के द्वारा किसी भी वेबसाइट को एक्सेस करते हैं तो हम होस्ट मशीन का आईपी एड्रेस ब्राउज़र को नहीं बताते बल्कि वेबसाइट का यूआरएल, वेबसाइट का नाम व वेबसाइट का डोमेन नाम ब्राउज़र में टाइप करते हैं जैसे www.google.com , www.facebook.com, www.wikipedia.com आदि और ब्राउज़र उस यूआरएल से संबंधित साइट स्क्रीन पर दिखा देता है|

ब्राउज़र DNS डोमेन नेम सिस्टम का उपयोग करके वेबसाइटों के डोमेन नामों को होस्ट मशीन के आईपी एड्रेस में बदल देता है और इसी आईपी एड्रेस  के जरिये ही वेबसाइट को इंटरनेट में से ढूंढ़कर आपको कंप्यूटर स्क्रीन पर दिखा देता है| यूआरएल को आईपी एड्रेस में बदलने का कार्य इतनी तेज गति से होता है कि आपको महसूस ही नहीं होता की ब्राउज़र DNS का उपयोग करके यूआरएल वा dns नाम को आईपी एड्रेस में बदल रहा है|

अब आइये देखते हैं कि DNS सिस्टम कैसे कार्य करता है:-

DNS क्लाइंट - सर्वनेटवर्क मॉडल पर काम करता है| DNS क्लाइंट DNS सर्वर को रिक्वेस्ट भेजते हैं और DNS सर्वर से रिस्पांस प्राप्त करते हैं| DNS सर्वर ऐसे सर्वर होते हैं जो कि अपने पास ये जानकारी सेव रखते हैं कि किस यूआरएल का क्या आईपी एड्रेस है, इस तरह DNS सर्वर अपने पास यूआरएल और आईपी एड्रेस की बहुत बड़ी जानकारी सेव रखते हैं| इसके विपरीत DNS क्लाइंट वे मशीन व कंप्यूटर होते हैं जो कि किसी यूआरएल का आईपी एड्रेस पता करना चाहते हैं ऐसी मशीनें DNS सर्वर को यूआरएल भेजते हैं और सर्वर रिस्पांस में इन्हे यूआरएल से मेल खाता हुआ आईपी एड्रेस भेज देता है|

जब क्लाइंट DNS सर्वर को यूआरएल के आईपी एड्रेस के लिए रिक्वेस्ट भेजता है तो इसे Forward DNS Lookup कहते हैं| इसके विपरीत अगर क्लाइंट के पास कोई आईपी एड्रेस है और वह इस आईपी एड्रेस का डोमेन नाम जानना चाहता है तो इस प्रकार की रिक्वेस्ट भी DNS सर्वर को भेजी जा सकती है| इस तरह की रिक्वेस्ट को Reverse DNS Lookup कहते हैं|  

DNS सिस्टम इंटरनेट में मौजूद सभी सार्वजनिक होस्ट मशीनों के लिए  डोमेन नाम और आईपी एड्रेसेस की जानकारी को संग्रहीत व सेव करने के लिए वितरित डेटाबेस सिस्टम (Distributed Database System) का उपयोग करता है| DNS डेटाबेस सिस्टम में बहुत सारे डेटाबेस सर्वर मौजूद होते हैं सभी सर्वर पर डोमेन नाम और आईपी एड्रेसेस  की जानकारी सेव रहती है| जितने भी DNS डेटाबेस सर्वर होते हैं उनमे यह जानकारी भी रहती है कि यदि उनके पास भेजे गए डोमेन नाम का आईपी एड्रेस नहीं मिलता तो इस डोमेन नाम के आईपी एड्रेस को पता करने के किस DNS सर्वर को यह रिक्वेस्ट आगे भेजनी है| इस तरह कोई भी एक DNS सर्वर बहुत सारे DNS सर्वर से जुड़ा हो सकता है और यह जुड़ने का कर्म पुरे इंटरनेट में होता है|   

जब भी ब्राउज़र DNS सिस्टम को रिक्वेस्ट  रिक्वेस्ट भेजता है तो सबसे पहले वे ISP के DNS सर्वर को रिक्वेस्ट भेजता है अगर ISP के सर्वर में आईपी एड्रेस मिल जाता है तो ISP रिस्पांस मैसेज में ब्राउज़र को आईपी एड्रेस भेज देता है अगर नहीं मिलता तो ISP दूसरे DNS सर्वर को रिक्वेस्ट भेजता है इस तरह एक DNS सर्वर से दूसरे DNS सर्वर तक रिक्वेस्ट तब तक आगे बढ़ती रहती है जब तक ब्राउज़र द्वारा भेजे गए डोमेन नाम का आईपी एड्रेस नहीं मिलता| अगर इंटरनेट में मौजूद किसी भी DNS सर्वर के  पास आईपी एड्रेस  नहीं मिलता तो ब्राउज़र "URL Not Found" की तरह का मैसेज कंप्यूटर स्क्रीन पर दिखा देता है|         

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