आईपी एड्रेस | इंटरनेट प्रोटोकॉल एड्रेस क्या होता है
जब भी नेटवर्क में नए कम्प्यूटर्स को जोड़ा जाता है तो उन्हें आईपी अड्रेस भी दिया जाता है| इसी आईपी एड्रेस के जरिये ही नेटवर्क के बाकी कम्प्यूटर्स इन नए कम्प्यूटर्स के साथ सम्पर्क करते हैं और सूचना का आदान प्रदान कर करते हैं| दुनिया का सबसे बड़ा नेटवर्क "इंटरनेट" में मौजूद सभी कम्प्यूटर्स को आईपी एड्रेस दिया गया है| इसी एड्रेस के जरिये ही सभी डिवाइसिस एक दूसरे से सम्पर्क स्थापित कर पाते हैं|
नेटवर्क में जितने कम्प्यूटर्स होते हैं सभी का आईपी एड्रेस अलग अलग होता है| दुनिया के सभी कम्प्यूटर्स के आईपी एड्रेस अलग अलग हो इसके लिए कोई अथॉरिटी होनी चाहिए जो कि कम्प्यूटर्स को आईपी एड्रेस दे सके और इस बात कि निगरानी रख सके कि सभी आईपी एड्रेस अलग अलग हों| IANA (Internet Assigned Numbers Authority) एक नॉन प्रॉफिट अमेरिकन कारपोरेशन है जो कि ये जिम्मेदारी रखती है|
आईपी एड्रेस का फॉर्मेट इस तरह का होता है :-
0.0.0.0 से लेकर 255.255.255.255
आईपी एड्रेस चार नंबरों से मिलकर बनता है हर एक नंबर में 3 डिजिट होती हैं| हर एक नंबर कम से कम 0 और अधिक से अधिक 255 का होता है| कुछ आईपी एड्रेसेस के उदाहरण इस तरह हैं :-
169. 122. 23. 24
203. 122. 67. 54
67. 90. 34. 34
102. 122. 250. 93
इस तरह बहुत से आईपी अड्रेस बनाये जा सकते हैं जो कि एक दूसरे से भिन्न होंगे| आइये कैलकुलेशन करके देखते हैं कि कितने आईपी अड्रेस बन सकते हैं| चूँकि हर एक संख्या 255 तक हो सकती है इसलिए कैलकुलेशन इस तरह होगी
255*255*255*255 = कुल आईपी एड्रेस्सेस = 4,228,250,625. लेकिन कुछ आईपी एड्रेसेस आरक्षित (Reserved) हैं जिन्हे कि डिवाइसिस को नहीं दिया जा सकता| यदि इन्हे घटा दिया जाए तो कुल आईपी एड्रेस बचते हैं लगभग 3,706,452,992.
इसका मतलब है कि पुरी दुनिया में 3,706,452,992 डिवाइसिस को आईपी अड्रेस दिया जा सकता है|
इस आईपी अड्रेस को IPV4 एड्रेस सिस्टम कहते हैं| IPV4 एड्रेस सिस्टम में आईपी एड्रेसेस की सिमित संख्याओं को देखते हुए नया आईपी एड्रेस सिस्टम बनाया गया है जिसे IPV6 कहते हैं| IPV6 के जरिये बहुत अधिक संख्या में आईपी एड्रेसेस बन सकते हैं जिनसे भविष्य में आने वाले कई वर्षों तक दुनिया भर के डिवाइसिस को आईपी एड्रेसेस दिए जा सकते हैं|
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