Contact us

क्लाइंट सर्वर मॉडल क्या है | कैसे काम करता है

Understand client server model in Hindi | kaise kam karta he | client server model 

क्लाइंट सर्वर मॉडल एक ऐसा नेटवर्किंग संचार (Network Communication) का मॉडल है जो कि यह बताता है कि नेटवर्क में मौजूद मशीनें आपस में कैसे सम्पर्क स्थापित करेंगी व सुचना का आदान प्रदान करेंगी| इस नेटवर्किंग मॉडल में दो मुख्य शब्दों का उपयोग किया जाता है 1) सर्वर और 2) क्लाइंट| सर्वर मशीन वह मशीन होती है जो कि नेटवर्क में मौजूद अन्य मशीनों को सेवायें उपलब्ध कराती है| क्लाइंट कम्प्यूटर्स वह कंप्यूटर होते हैं जो कि सर्वर कंप्यूटर से सम्पर्क स्थापित कर सर्वर कंप्यूटर की सेवायें प्राप्त करते हैं|

सर्वर कंप्यूटर कई तरह की सेवायें उपलब्ध करा सकता है| सेवाओं के आधार पर सर्वर कंप्यूटर को सेवाओं के नाम से जाना जाता है जैसे ईमेल सर्वर, डेटाबेस सर्वर, वेब सर्वर इत्यादि|   

ईमेल सर्वर - ईमेल-सर्वर इमेल्स से संबंधित सेवायें उपलब्ध कराते हैं| ईमेल सर्वर द्वारा क्लाइंट कम्प्यूटर्स एक दूसरे को मैसेजेस व मेल भेज सकते हैं| ईमेल सर्वर क्लाइंट कम्प्यूटर्स के सभी मेल व मैसेजेस अपने पास सेव रखता है| अगर क्लाइंट अपने इमेल्स को पढ़ना चाहे तो सर्वर उस क्लाइंट से संबंधित सभी ईमेल उसे नेटवर्क के जरिये भेज देता है|  

डेटाबेस सर्वर - इस तरह के सर्वर कंप्यूटर बहुत बड़ी मात्रा में क्लाइंट कम्प्यूटर्स की इनफार्मेशन वा डाटा अपने पास संग्रहित रखते है| क्लाइंट मशीनें डेटाबेस सर्वर से सम्पर्क स्थापित करके अपनी सूचना वा डाटा को सर्वर कंप्यूटर में सेव कर सकते हैं व जब चाहें अपनी सेव किये हुए डाटा को प्राप्त भी कर सकते हैं|

वेब सर्वर - यह सर्वर वेबसाइटों से संबंधित फाइलों को अपने पास सेव रखते हैं तथा जब भी क्लाइंट कम्प्यूटर्स द्वारा वेब पेजों को एक्सेस किया जाता है तो वेब सर्वर वेब पेज की फाइलों को क्लाइंट्स को भेज देते हैं| इसका उदाहरण है वेब ब्राउज़र| वेब ब्राउज़र क्लाइंट सॉफ्टवेयर ही होता है इस सॉफ्टवेयर में यूजर वेब पेज से संबंधित यूआरएल को टाइप करता है, वेब ब्राउज़र इस टाइप किये हुए यूआरएल के जरिये उस वेब सर्वर से सम्पर्क स्थापित करता है जिसके पास यह वेब पेज मौजूद है, क्लाइंट की रिक्वेस्ट आने के बाद वेबसर्वर ब्राउज़र को वेब पेज भेज देता है, इसके बाद ब्राउज़र इस वेब पेज को प्रोसेस कर यूजर को वेब पेज में मौजूद कंटेंट कंप्यूटर स्क्रीन पर दिखा देता है|  

ऊपर बताये गए ईमेल सर्वर, डेटाबेस सर्वर, वेब सर्वर के अलावा भी बहुत सारे सर्वर होते हैं जैसे FTP सर्वर, DNS सर्वर, फाइल सर्वर, प्रिंट सर्वर, एप्लीकेशन सर्वर इत्यादि| सभी सर्वर मशीनों का कार्य क्लाइंट मशीनों को सेवायें उपलब्ध कराना होता है लेकिन सभी सर्वरों में फर्क यही होता है कि हर कोई कुछ विशेष प्रकार और एक दूसरे से अलग तरह की सेवायें उपलब्ध कराता है| 

किसी भी कंप्यूटर व मशीन को सर्वर बनाने के लिए उसमे सर्वर सॉफ्टवेयर इनस्टॉल किया जाता है| असल में सर्वर कोई मशीन या हार्डवेयर नहीं बल्कि एक सॉफ्टवेयर होता है जिसे कि किसी भी कंप्यूटर में इनस्टॉल किया जा सकता है| अब जैसे ही कंप्यूटर में इनस्टॉल हुए सर्वर सॉफ्टवेयर को स्टार्ट करेंगे वैसे ही सर्वर सॉफ्टवेयर नेटवर्क से आने वाली सूचनाओं को सुनना शुरू कर देगा| अब नेटवर्क में मौजूद अन्य कम्प्यूटर्स सर्वर कंप्यूटर से सम्पर्क स्थापित कर सकते हैं और सेवायें प्राप्त करने के लिए मांग कर सकते हैं| सर्वर कंप्यूटर क्लाइंट कम्प्यूटर्स की मांगों को स्वीकार करता है इसके बाद सर्वर कंप्यूटर बहुत सारे सिक्योरिटी के तरीकों को उपयोग कर देखता है कि सेवा कि मांग करने वाली क्लाइंट मशीन कोई वायरस या ऐसी मशीन तो नहीं जिससे कि सर्वर की सुरक्षा में किसी तरह की गड़बड़ी हो सके| अगर सब कुछ सही और सुरक्षित रहता है तो सर्वर कंप्यूटर क्लाइंट को उसकी मांगी गयी सेवा को नेटवर्क के जरिये उसे भेज दे देता है| यदि सर्वर सिस्टम को ऐसा लगता है कि सेवा कि मांग किसी ऐसी मशीन से आयी है जिससे कि सर्वर कंप्यूटर की सुरक्षा को किसी तरह की हानि हो सकती है तो सर्वर मशीन क्लाइंट कंप्यूटर को सेवाएं देने के बजाए कुछ ऐसे मैसेज कोड क्लाइंट मशीन को भेज सकती है :-

1) You are not authorized to access this site (आप इस मशीन से सम्पर्क करने के लिए ऑथोराइज नहीं है|)
2) Not found आदि|


हालांकि किसी भी कम्प्यूटर को सर्वर बनाया जा सकता है केवल उसमे सर्वर सॉफ्टवेयर इनस्टॉल करने की जरूरत है| लेकिन सर्वर केवल उन्ही कम्प्यूटर्स को बनाया जाता है जिनकी हार्डवेयर क्षमता जैसे प्राइमरी मेमोरी, सेकेंडरी स्टोरेज, प्रोसेसर पॉवर आदि अधिक होती है| क्योंकि सर्वर को बहुत सारे क्लाइंट्स कम्प्यूटर्स की रेकुएस्ट (Request) को सुनना होता है व उन्हें प्रोसेस करना होता है इसलिए यह जरूरी है कि सर्वर कम्प्यूटर्स की प्रोसेसिंग  पावर, मेमोरी स्टोरेज इत्यादि अधिक हो| इसके अलावा सर्वर कम्प्यूटर को  बहुत सारी क्लाइंट मशीन के डाटा को अपने पास स्टोर करके रखना होता है इसलिए सेकंडरी स्टोरेज भी अधिक होनी चाहिए| यदि कम हार्डवेयर क्षमता वाले कंप्यूटर को सर्वर बना दिया जाए तो जैसे ही सम्पर्क करने वाली क्लाइंट मशीनों की संख्या बढ़ने लगेगी तो सर्वर कंप्यूटर बहुत धीमा हो जाएगा और क्लाइंट्स कम्प्यूटर्स द्वारा मांगी गयी सेवाओं को उपलब्ध नहीं करा पायेगा| क्योंकि एक ही सर्वर मशीन है जिसे सभी क्लाइंट मशीनों की रेकुएस्ट (Request) को सुनना वा प्रोसेस करना है| सम्पर्क करने वाली क्लाइंट मशीनों की संख्या 1 से लेकर हजारों, लाखों व करोड़ों तक हो सकती हैं|

क्लाइंट सर्वर मॉडल P2P मॉडल से भिन्न होता है| P2P मॉडल में मशीने डायरेक्ट आपस में सम्पर्क स्थापित करती हैं| P2P मॉडल में कोई सेंट्रल सर्वर नहीं होता सभी मशीनें आपस में डायरेक्ट सुचना का आदान प्रदान करती हैं इसलिए इस मॉडल में हर एक मशीन क्लाइंट और  सर्वर दोनों का कार्य कर सकती है|  इसके विपरीत क्लाइंट सर्वर मॉडल में मशीने डायरेक्ट आपस में सम्पर्क स्थापित नहीं कर सकती बल्कि हर क्लाइंट केवल सर्वर से ही सम्पर्क स्थापित कर सकता है| क्लाइंट सर्वर मॉडल को नीचे चित्र से समझ सकते हैं :-



1 Review:

  1. Thanks for the answer
    Aapne apne website per ad kaise laya kya aap bta sakate ho

    ReplyDelete

यह पोस्ट आपको किसी लगी इसके बारे में लिखें