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ईमेल सिस्टम कैसे काम करता है | ईमेल की कार्यप्रणाली How email works explain in Hindi
ईमेल केवल एक टेक्स्ट में लिखा हुआ मैसेज होता है जिसे कि इंटरनेट के जरिये एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को भेजा जाता है| ईमेल में टेक्स्ट के साथ साथ विभिन्न प्रकार की बाइनरी फाइलें भी भेजी जा सकती हैं जैसे ऑडियो फाइल, वीडियो फाइल, पीडीऍफ़ फाइल आदि|



इस पोस्ट में हम समझेंगे कि आखिर ईमेल में लिखा हुआ संदेश एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक कैसे पहुँच जाता है:-

जब भी कोई ईमेल भेजा जाता है या रिसीव किया जाता है तो उसके लिए एक सॉफ्टवेयर का उपयोग किया जाता है जिसे "ईमेल क्लाइंट" कहते हैं| यह ईमेल क्लाइंट सॉफ्टवेयर उस कंप्यूटर में इनस्टॉल होता है जिससे आप ईमेल भेजते और रिसीव करते हैं| आप ईमेल भेजने व रिसीव करने के लिए ईमेल क्लाइंट का उपयोग  करते ही होंगे कुछ ईमेल क्लाइंट के उदाहरण हैं माइक्रोसॉफ्ट आउटलुक, आउटलुक एक्सप्रेस, Eudora आदि कुछ वेब ईमेल क्लाइंट भी होते हैं जो कि ब्राउजर  में चलते हैं जैसे जीमेल, याहू आदि| जितने भी ईमेल क्लाइंट सॉफ्टवेयर होते हैं उनका मुख्य कार्य होता है :-

1) आपके मेलबॉक्स में मौजूद सभी मेसेजों की लिस्ट हैडर्स के द्वारा दिखाना| हैडर्स में बहुत सी इनफार्मेशन लिखी होती है जैसे मेल भेजने वाले का नाम, मेल का सब्जेक्ट या विषय, मैसेज का साइज, मैसेज भेजने की तारीख आदि|   

2) आप किसी भी मैसेज हैडर पर क्लिक करके उसमे मौजूद मैसेज पढ़ सकते हैं| 

3) आप किसी दूसरे व्यक्ति को ईमेल भेज सकते हैं| 

4) मैसेज भेजते समय बाइनरी फाइलों को अटैच कर सकते हैं और रिसीव हुए मैसेज में मौजूद बाइनरी फाइलों को अपने कंप्यूटर में सेव कर सकते हैं|  

वैसे जितने भी ईमेल क्लाइंट सॉफ्टवेयर मौजूद हैं वे ऊपर बताये गए कार्यों के अलावा भी बहुत से एडवांस कार्य करते हैं लेकिन ऊपर बताये गए कार्य ऐसे मुख्य कार्य  हैं जो कि हर एक ईमेल क्लाइंट सॉफ्टवेयर करता है|   

ईमेल सिस्टम में क्लाइंट  सॉफ्टवेयर के साथ साथ एक सर्वर सॉफ्टवेयर भी मौजूद होता है जो कि सर्वर कंप्यूटर  सिस्टम में इनस्टॉल होता है जिसे ईमेल सर्वर कहते हैं| जितने भी ईमेल क्लाइंट होते हैं वे सब ईमेल सर्वर से सम्पर्क स्थापित करते हैं| ईमेल सर्वर ही अपने पास सभी मैसेज और सभी व्यक्तियों की ईमेल अकाउंट आईडी सेव रखता है| आइये देखते हैं ईमेल सर्वर कैसे काम करता और अपने पास क्या क्या इनफार्मेशन रखता है :-

1) ईमेल सर्वर अपने पास सभी ईमेल अकाउंट की लिस्ट रखता है| हर व्यक्ति के लिए एक अकाउंट होता है| इसी अकाउंट के जरिये मैसेज एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक जाते हैं| हर एक अकाउंट के लिए एक फाइल होती है जिसमे उस ईमेल अकाउंट से संबंधित इनफार्मेशन सेव होती है| 

2) जब भी आप किसी व्यक्ति को मेल के द्वारा मैसेज भेजते है तो अपने ईमेल क्लाइंट में उस व्यक्ति की ईमेल अकॉउंट आईडी लिखते हैं| अब "ईमेल क्लाइंट सॉफ्टवेयर" अकाउंट आईडी और मैसेज को ईमेल सर्वर को भेज देता है| अब ईमेल सर्वर चेक करता है कि भेजी गयी अकाउंट आईडी उसके पास बनी हुई है या नहीं| अगर है तो जो भी मैसेज भेजा गया है उसे इस अकाउंट से संबंधित फाइल में  सेव कर देता है| 

3) जब भी आप ईमेल क्लाइंट में अपना मेलबॉक्स चेक करते हैं तो ऊपर बताये गए स्टेप्स ही किये जाते हैं| आपका "ईमेल क्लाइंट" आपकी अकाउंट आईडी मेल सर्वर को भेजता है फिर मेल सर्वर इस अकाउंट आईडी से संबंधित फाइल में सेव हुए मैसेज निकालकर सभी मैसेज वापस ईमेल क्लाइंट को भेज देता है| जब मैसेज मेल क्लाइंट के पास पहुँच जाते है तो "ईमेल क्लाइंट" सभी मैसेज कंप्यूटर स्क्रीन पर दिखा देता है|     

4) ईमेल सर्वर के पास सभी ईमेल अकाउंट के लिए जो जो फाइल होती होती हैं उनमे केवल मैसेज ही नहीं होता बल्कि अन्य बहुत सारी इनफार्मेशन मौजूद होती है जैसे मैसेज भेजने का समय, मैसेज का साइज, मैसेज भेजने वाले व्यक्ति का नाम आदि इसके अलावा सिक्योरिटी के लिए जिस व्यक्ति का अकाउंट है उस व्यक्ति से संबंधित इनफार्मेशन जैसे नाम, उम्र, फ़ोन नंबर आदि इनफार्मेशन भी ईमेल सर्वर अपने पास सेव रखते हैं|   


असल में ईमेल सर्वर सिस्टम  में दो तरह के सर्वर मौजूद होते हैं| 1)  SMTP सर्वर 2) POP सर्वर|

यह दोनों सर्वर एक ही मशीन में हो सकते हैं या अलग अलग मशीन में भी हो सकते हैं| दोनों तरह के तरीके उपयोग में लाये जाते हैं|

SMTP सर्वर भेजने वाले मेलों को कंट्रोल करता है और POP आने वाले व रिसीव करने वाले मेल्स को कंट्रोल करता है| इन दोनों सर्वर के बारे में विस्तार से समझते हैं:-

जब भी आप किसी को मेल भेजते हैं, तो आपका ई-मेल क्लाइंट मेल भेजने के लिए ईमेल सर्वर सिस्टम के  एसएमटीपी (SMTP) सर्वर के साथ सम्पर्क स्थापित करता है| यदि आप किसी ऐसे व्यक्ति को मेल भेजते हैं जिसका ईमेल अकाउंट आपके ईमेल सर्वर में मौजूद नहीं है तो आपके ईमेल सर्वर में मौजूद एसएमटीपी सर्वर ई-मेल भेजने के लिए इंटरनेट में मौजूद अन्य ईमेल सर्वर सिस्टम के एसएमटीपी सर्वरों के साथ भी सम्पर्क स्थापित कर सकता है। SMTP सर्वर को एक उदाहरण से समझते हैं :-

मान लेते हैं Abc नाम के व्यक्ति को ईमेल भेजना है| abc की ईमेल अकाउंट आईडी है abc@test.com ABC की ईमेल आईडी जिस ईमेल सर्वर में बनी हुई है उसका यूआरएल एड्रेस है test.com अब ABC को XYZ नाम के व्यक्ति को मेल भेजना है| XYZ की ईमेल आईडी है xyz@test.com XYZ की ईमेल आईडी भी यूआरएल एड्रेस test.com के सर्वर में बनी हुई है| जब ABC अपने ईमेल क्लाइंट से XYZ को मैसेज भेजता है तो ईमेल क्लाइंट इसके SMTP सर्वर से सम्पर्क करता है जिसका यूआरएल एड्रेस है test.com इसके बाद SMTP सर्वर चेक करेगा कि ABC व्यक्ति जिस व्यक्ति को मेल भेज रहा है उसके SMTP  सर्वर का क्या एड्रेस है क्योंकि XYZ का SMTP सर्वर भी test.com है इसलिए SMTP सर्वर को किसी दूसरे SMTP सर्वर से सम्पर्क करने की आवश्यकता नहीं SMTP सर्वर डायरेक्ट ही XYZ को मैसेज भेज देगा|

अब आइये वे स्थिति देखते हैं जिसमे SMTP सर्वर मेल भेजने के लिए इंटरनेट में मौजूद दूसरे SMTP सर्वरों से सम्पर्क स्थापित करता है| इस स्थिति को ABC और XYZ नामक व्यक्तियों से ही समझते हैं| ABC को XYZ को मैसेज भेजना है| ABC की ईमेल आईडी है abc@test.com और XYZ की ईमेल आईडी है xyz@result.com अब अगर ABC मैसेज भेजता है तो test.com यूआरएल के smtp सर्वर से सम्पर्क स्थापित किया जाएगा इसके बाद SMTP सर्वर चेक करेगा कि XYZ का ईमेल सर्वर यही है या दूसरा है क्योंकि अब XYZ का ईमेल सर्वर result.com है इसलिए test.com का SMTP सर्वर result.com के SMTP सर्वर से सम्पर्क करेगा और  XYZ को मैसेज भेज देगा|

ईमेल सर्वर सिस्टम का दूसरा पार्ट POP सर्वर होता है POP सर्वर आपके इनबॉक्स में मौजूद मेसेजों को निकालकर आपको भेज देता है| जब भी आप क्लाइंट सॉफ्टवेयर के जरिये अपने मेल देखते हैं तो क्लाइंट सॉफ्टवेयर आपके ईमेल सर्वर सिस्टम में मौजूद POP सर्वर से सम्पर्क करता है फिर POP सर्वर आपके इनबॉक्स में सेव हुए मेलों को आपके ईमेल क्लाइंट को भेज देता है|     




   

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