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लिनक्स और यूनिक्स ऑपरेटिंग सिस्टम क्या है What is Linux | Unix Operating system in hindi
लिनक्स क्या है और इसकी शुरुआत कैसे हुई 

लिनक्स एक ऑपरेटिंग सिस्टम है| इस ऑपरेटिंग सिस्टम का लाइसेंस ओपन सोर्स है इसका मतलब  है कोई भी इसमें बदलाव करके इसे उपयोग व डिस्ट्रीब्यूट कर सकता है| लिनक्स ऑपरेटिंग सिस्टम को एक कंप्यूटर साइंस के स्टूडेंट लिनस तोरवाल्डस (Linus Torvalds) ने बनाया था| 


लिनस तोरवाल्डस उस समय unix OS मे काम किया करते थे unix में काम करते करते उन्होंने यह पाया कि इस ऑपरेटिंग सिस्टम में और अधिक सुधार व डेवलपमेंट की जा सकती है| क्योंकि unix OS एक निजी स्वामित्व (proprietaryOS है इसलिए इसमें सुधार व डेवलपमेंट की गुंजाइश कम थी इसलिए लिनस तोरवाल्डस ने एक ऐसा OS बनाने का सोचा जिसमे इसको इस्तेमाल करने वाले यूजर इसमें बदलाव व डेवलपमेंट कर सकें| इसके बाद लिनस ने 1991 में एक OS बनाया जिसका नाम रखा गया लिनक्स (Linux)| इन्होने इसकी डेवेलपमेंट के लिए MIT जैसे संस्थानों में मौजूद प्रोग्रामर्स का भी सहयोग लिया और 1991 में लिनक्स ऑपरेटिंग सिस्टम को आधिकारिक तौर पर लांच किया गया| यह एक ओपन सोर्स OS की शुरुआत थी|  

लिनक्स का शुरूआती समय 

लिनक्स के शुरूआती वर्जन यूजर फ्रेंडली नहीं थे इसका मतलब था कि नॉन टेकिन्कल लोगों के लिए लिनक्स को उपयोग करना मुश्किल था| क्योंकि लिनक्स की डेवलपमेंट ओपन सोर्स थी इसकी डेवलपमेंट में अधिकतर टेक्निकल और प्रोग्रामर ही शामिल थे इसलिए टेक्निकल लोग ही इसका अधिक उपयोग किया करते थे| इस समय लिनक्स के अलावा जितने भी कमर्शियल OS थे जैसे विंडोज अधिक यूजर फ्रेंडली थे इसलिए इन कमर्शियल OS के सामने लिनक्स की लोकप्रियता कम थी| हालांकि लिनक्स के ओपन सोर्स होने के कारण यह OS काफी मजबूत था|

लिनक्स की लोकप्रियता 

लिनक्स का सबसे बड़ा फायदा है कि यह ओपन सोर्स है इसलिए कोई भी लिनक्स के कर्नल में बदलाव करके इसका नया वर्जन उपयोग वा डिस्ट्रीब्यूट कर सकता है| लिनक्स फ्री OS है इसे उपयोग करने के लिए कोई कीमत नहीं चुकानी पड़ती जैसे कि कमर्शियल OS विंडोज आदि में होता है| ओपन सोर्स होने की वजह से लिनक्स के बहुत सारे वर्जन उपलब्ध हैं अब ऐसे भी वर्जन डेवेलप हो चुके हैं जो कि अधिक यूजर फ्रेंडली है| लिनक्स का कर्नल अब एक बहुत लोकप्रिय और बहुत अधिक इस्तेमाल  होने वाला कर्नल बन चुका है जितने भी प्रचलित ऑपरेटिंग सिस्टम हैं जैसे Debian, Knoppix, Ubuntu and Fedora सभी लिनक्स कर्नल से बने हुए हैं|  

लिनक्स की ओपन सोर्स कम्युनिटी बहुत ही बड़ी है इसलिए ऐसे बहुत से सॉफ्टवेयर और ऍप्लिकेशन्स उपलब्ध हैं जो कि लिनक्स में इनस्टॉल कर चलाये जा सकते हैं| लिनक्स का सबसे बड़ा फायदा यह भी है कि यह काफी सिक्योर व सुरक्षित OS है इसमें एंटीवायरस जैसे सॉफ्टवेयर इनस्टॉल करने की भी जरूरत नहीं पड़ती| लिनक्स की ओपन सोर्स कम्युनिटी इसे एक अधिक सुरक्षित ऑपरेटिंग सिस्टम बनाने की कोशिश में रहती है| हर एक अपग्रेड में लिनक्स पहले से और अधिक सुरक्षित होता है| लिनक्स अपने सुरक्षित, स्थिरता और विश्वसनीयता के कारण के कारण सर्वर मशीनों में अधिक इस्तेमाल होता है| जितनी भी बड़ी बड़ी कंपनियां हैं जैसे फेसबुक (Facebook), गूगल (Google), एमाज़ॉन (Amazon) सभी अपनी सर्वर मशीनों में लिनक्स का उपयोग करती हैं|   

लिनक्स और यूनिक्स (Linux and Unix) में अंतर 

यूनिक्स OS 1970 में बेल्ल लैब्स में केन थॉम्पसन, डेनिस रिची और अन्य लोगों द्वारा बनाया गया था| लिनक्स और यूनिक्स काफी हद तक एक जैसे ही है| लिनक्स OS को यूनिक्स जैसा ही बनाया गया था दोनों का कर्नल लगभग समान ही है दोनों के बेसिक कोर कॉम्पोनेन्ट लगभग समान हैं लेकिन यूनिक्स फ्री OS नहीं हैं जबकि लिनक्स ओपन सोर्स है| अभी तक बहुत से फ्री OS डेवेलप हो चुके हैं जिनको यूनिक्स जैसा बनाने की कोशिश की गयी है लेकिन अब तक लिनक्स ही ऐसा फ्री ओपन सोर्स OS है जो कि काफी सफल और लोकप्रिय है|     

लिनक्स के किस वर्जन का उपयोग करना चाहिए  

कोई भी अपने कंप्यूटर व लैपटॉप में लिनक्स OS आसानी से इनस्टॉल कर सकता है|  वही लिनक्स का डिस्ट्रीब्यूशन उपयोग करना चाहिए जो आपकी मशीन प्लेटफार्म के लिए डिज़ाइन हुआ हो| वैसे तो लिनक्स के बहुत सारे डिस्ट्रीब्यूशन उपलब्ध हैं वही डिस्ट्रीब्यूशन उपयोग करना चाहिए जो कि अधिक लोकप्रिय व अधिक इस्तेमाल किये जाते हैं क्योंकि इसमें लोगों की बड़ी कम्युनिटी शामिल होती है जो कि किसी भी टेक्निकल समस्या का उत्तर दे सकती  हैं| लिनक्स के पॉपुलर डिस्ट्रीब्यूशंस हैं डेबियन (Debian), फेडोरा (Fedora), मिंट (Mint)और यूबोंटो (Ubunto) आदि|

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