DHCP Protocol in Hindi
DHCP डीएचसीपी (डायनामिक होस्ट कॉन्फ़िगरेशन प्रोटोकॉल) एक प्रोटोकॉल है जो नेटवर्क के अंदर मौजूद कम्प्यूटर्स और डिवाइसिस के लिए आईपी एड्रेसेस का वितरण, स्वचालन और केंद्रीय प्रबंधन प्रदान करता है| DHCP का उपयोग कम्प्यूटर्स और डिवाइसिस में सबनेट मास्क, डिफ़ॉल्ट गेटवे और DNS सर्वर जानकारी को कॉन्फ़िगर करने के लिए भी किया जाता है।
डीएचसीपी सर्वर का उपयोग डिवाइसिस व कम्प्यूटर्स को आईपी एड्रेस्सेस देने और नेटवर्क की अन्य जानकारियों को कम्प्यूटर्स में कॉन्फ़िगर करने के लिए भी किया जाता है| छोटे आकार के नेटवर्क जो कि घरों, छोटे व्यवसायों और संगठनों में उपयोग किये जाते है उनमें राउटर डीएचसीपी सर्वर के रूप में कार्य करता है| इसके विपरीत जहां बड़े नेटवर्क का उपयोग होता है वहां एक कंप्यूटर डीएचसीपी सर्वर के रूप में कार्य कर सकता है।
अब आइये देखते हैं कि DHCP का इंटरनल प्रोसेस कैसे कार्य करता है:-
1) जैसे ही डिवाइस या कंप्यूटर चालू होता है तो अपने नेटवर्क से कनेक्ट होता है जिसमें एक डीएचसीपी सर्वर मौजूद होता है|
2) ये चालू हुआ डिवाइस डीएचसीपी सर्वर को एक रिक्वेस्ट भेजेगा, इस रिक्वेस्ट को DHCP DISCOVER रिक्वेस्ट (डिस्कवर पैकेट) कहा जाता है।
3) डिस्कवर पैकेट DHCP सर्वर तक पहुंचने के बाद, सर्वर एक आईपी एड्रेस को अपने "आईपी अड्रेस पूल में" से ढूंढकर निकालता है जिसे डिवाइस उपयोग कर सकता है, और फिर इसके बाद रिक्वेस्ट करने वाले क्लाइंट डिवाइस को आईपी एड्रेस भेज देता है, इस तरह सर्वर द्वारा डिवाइस को आईपी एड्रेस भेजने को DHCPOFFER packet कहते हैं|
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4) DHCPOFFER packet जब क्लाइंट डिवाइस तक सफलतापूर्वक पहुँच जाता है तब क्लाइंट डिवाइस सर्वर को रिस्पांस मैसेज भेजता है कि मुझे आईपी एड्रेस मिल चुका है| जब सर्वर को रिस्पांस मैसेज मिल जाता है तब DHCP सर्वर फिर क्लाइंट को दुबारा एक ACK मैसेज भेजता है जो कि कन्फर्मेशन करता है कि क्लाइंट डिवाइस में आईपी अड्रेस आ चुका है इसके साथ साथ यह भी निर्धारित करता है कि इस आईपी एड्रेस का उपयोग क्लाइंट कितने टाइम तक करेगा|
5) यदि क्लाइंट द्वारा सर्वर को रिस्पांस मैसेज भेजने के बाद सर्वर को यह लगता है कि डिवाइस को को भेजा गया यह आईपी एड्रेस नहीं मिल सकता, तो वह ACK के बजाय NACK मैसेज भेजता है| NACK मैसेज मिलने के बाद क्लाइंट दुबारा से सर्वर को आईपी एड्रेस के लिए दुबारा रिक्वेस्ट भेजता है जैसा कि स्टेप 2 में बताया गया है|
ऊपर जितने भी स्टेप्स बताये गए हैं, बहुत तेज गति से होते हैं आप यह सब इंटरनल प्रोसेस अनुभव ही नहीं कर सकते| आप जैसे ही अपना डिवाइस या कंप्यूटर चालु करते हैं आपको DHCP द्वारा आईपी एड्रेस मिला जाता है अब आप इस आईपी एड्रेस के जरिये नेटवर्क में कम्युनिकेशन कर सकते हैं| DHCP सर्वर का एक बड़ा फायदा यह है कि आपको नेटवर्क में मौजूद डिवाइसिस को खुद से आईपी एड्रेस नहीं देना पड़ता DHCP सर्वर खुद से आईपी एड्रेस्सेस के आवंटन का कार्य लेता है आईपी एड्रेस बांटने के अलावा नेटवर्किंग से संबंधित दूसरे कार्य भी DHCP सर्वर करता है जैसे सबनेट मास्क, डिफ़ॉल्ट गेटवे और DNS सर्वर जानकारी को पूरे नेटवर्क में कॉन्फ़िगर करना|
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