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आईटी में प्लेटफार्म क्या होता है

Platform in programming and software in Hindi


प्लेटफार्म एक ऐसा हार्डवेयर या सॉफ्टवेयर होता है जिसमे ऍप्लिकेशन्सकंप्यूटर प्रोग्राम चलते हैं| प्लेटफार्म के कई प्रकार हो सकते हैं जैसे हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर यहां तक की कोई एप्लीकेशन भी प्लेटफार्म हो सकती है| कंप्यूटर सिस्टम में सबसे निचले स्तर का प्लेटफार्म हार्डवेयर होते हैं जैसे CPUमेमोरी,  नेटवर्क कनेक्शन आदि| हार्डवेयर प्लेटफार्म के अलावा जितने भी सॉफ्टवेयर प्लेटफार्म होते हैं जैसे ऑपरेटिंग सिस्टम, virtual मशीन, सर्वर, डेटाबेस आदि वे सभी हार्डवेयर प्लेटफार्म पर ही निर्भर करते हैं दूसरे शब्दों में कहें तो हार्डवेयर प्लेटफार्म ही इन सॉफ्टवेयर प्लेटफार्म को चलाता है| इस चित्र में प्लेटफॉर्मों को दर्शाया गया है:-



जैसा की चित्र में दिखाया गया है सबसे निचले 0 लेवल में हार्डवेयर प्लेटफार्म है इस प्लेटफार्म के अलावा ऊपर जितने भी प्लेटफार्म हैं सभी को हार्डवेयर प्लेटफार्म ही चलाता है| हार्डवेयर प्लेटफार्म के ऊपर जो प्लेटफार्म होता है उसमे ऑपरेटिंग सिस्टम, डिवाइस ड्राइवर आदि आते हैं चित्र में यह 1 नंबर प्लेटफार्म है| ऑपरेटिंग सिस्टम और डिवाइस ड्राइवर जितने भी कार्य करते हैं वे उन्हें हार्डवेयर प्लेटफार्म को सौंप देते हैं फिर हार्डवेयर ही उन कार्यों को करता है| ऑपरेटिंग सिस्टम के ऊपर जो लेयर होती है उसमे JVM और CLR जैसे रनटाइम एन्वाइरोमेंट होते हैं रनटाइम एन्वाइरोमेंट एक ऐसा सॉफ्टवेयर या ऐसे प्रोग्रामों का समूह होता है जो कि ऐसी सॉफ्टवेयर एप्लीकेशन को चलाते हैं जिनके कोड का फॉर्मेट विशेष प्रकार का होता है जिसे JVM या CLR जैसे रनटाइम समझते हैं| जैसा कि चित्र में देख सकते हैं JVM और CLR 2 नंबर लेयर में हैं|

जितनी भी एप्लीकेशन होती हैं वे सब तीसरे नम्बर की लेयर में होती हैं| कुछ एप्लीकेशन ऐसी होती हैं जो कि बिना रनटाइम एन्वाइरोमेंट के चलती हैं इस तरह की एप्लीकेशन को लेयर 2 की जरूरत नहीं होती ये डायरेक्ट ही 1 नंबर लेयर को यानी ऑपरेटिंग सिस्टम को अपना कार्य सौंप देती हैं|

चौथे नंबर की लेयर में भी ऍप्लिकेशन्स होती हैं इस लेयर में मौजूद ऍप्लिकेशन्स अपना कार्य इससे नीचे की लेयर यानी तीसरे नंबर की लेयर को सौंप देती है|


किसी भी लेयर में मौजूद एप्लीकेशन केवल अपने नीचे की लेयर से ही सम्पर्क कर अपना कार्य करती है| किसी भी लेयर में मौजूद एप्लीकेशन व सॉफ्टवेयर का प्लेटफार्म उससे नीचे की लेयर होता है| उदाहरण के लिए  1 नम्बर लेयर में मौजूद ऑपरेटिंग सिस्टम और डिवाइस ड्राइवर 0 नंबर प्लेटफार्म यानी हार्डवेयर प्लेटफार्म  पर चलते हैं या यूँ कहें हार्डवेयर प्लेटफार्म पर निर्भर करते हैं| इसी तरह जितने भी रनटाइम एन्वाइरोमेंट होते हैं उनके लिए प्लेटफार्म ऑपरेटिंग सिस्टम व डिवाइस ड्राइवर होते हैं| एप्लीकेशन इस तरह की भी होती सकती है जो अपने नीचे की लेयर को छोड़कर उससे नीचे की लेयर से सम्पर्क कर अपना कार्य कर सकता है| इसका मतलब है कि रनटाइम एन्वाइरोमेंट चाहे तो ऑपरेटिंग सिस्टम से सम्पर्क ना कर डाइरेक्ट हार्डवेयर प्लेटफार्म को एक्सेस कर अपना कार्य कर सकता है|

किसी भी एप्लीकेशन का प्रोग्रामिंग फॉर्मेट इस प्रकार का होता है जिसे कि नीचे लेयर समझ सके| इस तरह एप्लीकेशन व सॉफ्टवेयर का कोड ऐसा लिखना होता है जिसे की नीचे की लेयर समझ सके व नीचे का प्लेटफार्म समझ सके| इसलिए कोई भी एप्लीकेशन अपने निचले लेवल के प्लेटफार्म पर ही निर्भर करती है|

हर लेयर में एक से अधिक एप्लीकेशन हो सकती हैं इसको ऐसे भी कह सकते हैं कि हर लेयर में एक से अधिक प्लेटफार्म हो सकते हैं और ऊपरी लेयर में मौजूद एप्लीकेशन इस लेयर में मौऊद किसी एक विशेष प्लेटफार्म पर ही रन होती है|

जितनी भी लेयर होती हैं वे अपना कार्य नीचे की लेयर व प्लेटफार्म को सौंप देती हैं फिर यह प्लेटफार्म अपने नीचे के प्लेटफार्म को कार्य सौंप देता है इस तरह सभी प्लेटफार्म अपने नीचे के प्लेटफार्म को अपना कार्य सौंपती जाती हैं और अंत में कार्य हार्डवेयर प्लेटफार्म तक पहुंचता है फिर हार्डवेयर प्लेटफार्म ही असल कार्य को करता है| लेकिन किसी भी लेयर में मौजूद एप्लीकेशन का कोड केवल इससे नीचे के प्लेटफार्म के अनुसार लिखा जाता है इसलिए किसी भी एप्लीकेशन को नीचे की सभी लेयर्स पर निर्भर नहीं होना पड़ता केवल अपने नीचे की एक लेयर पर ही निर्भर होना पड़ता है|     

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